दैर ओ काबा में भटकते फिर रहे हैं रात दिन By Sher << गुज़र जाएगी सारी रात इस म... दिल को ग़म रास है यूँ गुल... >> दैर ओ काबा में भटकते फिर रहे हैं रात दिन ढूँढने से भी तो बंदों को ख़ुदा मिलता नहीं Share on: