दर्द की सारी तहें और सारे गुज़रे हादसे By Sher << नश्तर-ए-ग़म न जिस को रास ... अब अपना इंतिज़ार रहेगा तम... >> दर्द की सारी तहें और सारे गुज़रे हादसे सब धुआँ हो जाएँगे इक वाक़िआ रह जाएगा Share on: