दर्द को गुर्दा तड़पने को जिगर By Sher << ख़ुद को बचाऊँ जिस्म सँभाल... पैरवी से मुमकिन है कब रसा... >> दर्द को गुर्दा तड़पने को जिगर हिज्र में सब हैं मगर दिल तो नहीं Share on: