दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत बन गए By Sher << उसे बाम-ए-पज़ीराई पे कैसे... हम ने मुद्दत से उलट रक्खा... >> दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत बन गए अब यहाँ आराम ही आराम है the heart is accustomed to sorrow and pain in lasting comfort now i can remain Share on: