उसे बाम-ए-पज़ीराई पे कैसे छोड़ दूँ अब By Sher << मैं ने घाटे का भी इक सौदा... दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत ब... >> उसे बाम-ए-पज़ीराई पे कैसे छोड़ दूँ अब यही तन्हाई तो मेरे लिए सीढ़ी बनी है Share on: