दरयाफ़्त कर के ख़ुद को ज़माने से दूर हूँ By Sher << पलकों पे ग़म-ए-हिज्र के स... कुछ ऐसे ज़ख़्म भी दर-पर्द... >> दरयाफ़्त कर के ख़ुद को ज़माने से दूर हूँ हर शख़्स बा-शुऊर है मैं बे-शुऊर हूँ Share on: