दश्त जैसी उजाड़ हैं आँखें By Sher << हर-चंद ए'तिबार में धो... शब-ए-फ़िराक़ का छाया हुआ ... >> दश्त जैसी उजाड़ हैं आँखें इन दरीचों से ख़्वाब क्या झांकें Share on: