शब-ए-फ़िराक़ का छाया हुआ है रोब ऐसा By Sher << दश्त जैसी उजाड़ हैं आँखें बुरा लगा मिरे साक़ी को ज़... >> शब-ए-फ़िराक़ का छाया हुआ है रोब ऐसा बुला बुला के थके हम क़ज़ा नहीं आई Share on: