दश्त ओ दर ख़ैर मनाएँ कि अभी वहशत में By Sher << हमें रंजिश नहीं दरिया से ... गिरते हैं लोग गर्मी-ए-बाज... >> दश्त ओ दर ख़ैर मनाएँ कि अभी वहशत में इश्क़ ने पहला क़दम नाम-ए-ख़ुदा रक्खा है Share on: