दाता है बड़ा रज़्ज़ाक़ मिरा भरपूर ख़ज़ाने हैं उस के By Sher << हमें भी आ पड़ा है दोस्तों... भरोसा किस क़दर है तुझ को ... >> दाता है बड़ा रज़्ज़ाक़ मिरा भरपूर ख़ज़ाने हैं उस के ये सच है मगर ऐ दस्त-ए-दुआ' हर रोज़ तक़ाज़ा कौन करे Share on: