देहात के बसने वाले तो इख़्लास के पैकर होते हैं By Sher << नाव काग़ज़ की छोड़ दी मैं... आह-ए-बे-असर निकली नाला ना... >> देहात के बसने वाले तो इख़्लास के पैकर होते हैं ऐ काश नई तहज़ीब की रौ शहरों से न आती गाँव में Share on: