देख पछताएगा ओ बुत मिरे तरसाने से By Sher << देखा जिसे बिस्मिल क्या ता... दाग़ उस पे कहाँ थे ये गली... >> देख पछताएगा ओ बुत मिरे तरसाने से उठ के का'बे को चला जाऊँगा बुत-ख़ाने से Share on: