दाग़ उस पे कहाँ थे ये गली हो के फिरा है By Sher << देख पछताएगा ओ बुत मिरे तर... चुप रह के गुफ़्तुगू ही से... >> दाग़ उस पे कहाँ थे ये गली हो के फिरा है भेजा था जिसे ये वो कबूतर तो नहीं है Share on: