देखी थीं कभी मैं ने भी बरखा की बहारें By Sher << मिरे लिए शब-ए-महताब इक क़... दीदनी है तिरे इ'ताब क... >> देखी थीं कभी मैं ने भी बरखा की बहारें अब टूटे हुए दिल को ख़ुदारा न दुखाओ Share on: