देखना ज़ोर ही गाँठा है दिल-ए-यार से दिल By Sher << आज क्या लौटते लम्हात मयस्... हमें तो इस लिए जा-ए-नमाज़... >> देखना ज़ोर ही गाँठा है दिल-ए-यार से दिल संग-ओ-शीशे को किया है मैं हुनर से पैवंद Share on: