देखो ऐसा अजब मुसाफ़िर फिर कब लौट के आता है By Sher << हर्फ़ को लफ़्ज़ न कर लफ़्... अपने चारों सम्त दीवारें उ... >> देखो ऐसा अजब मुसाफ़िर फिर कब लौट के आता है दरिया उस को रस्ता दे कर आज तलक पछताता है Share on: