देखो दुज़्दीदा निगह से तो निकल कर इक रात By Sher << दिखाई क्यूँ दिल-ए-वहशी को... देखने का जो करूँ उस के मै... >> देखो दुज़्दीदा निगह से तो निकल कर इक रात चोर सा कौन खड़ा है पस-ए-दीवार लगा Share on: