देते नहीं सुझाई जो दुनिया के ख़त्त-ओ-ख़ाल By Sher << दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शा... देखोगे तो आएगी तुम्हें अप... >> देते नहीं सुझाई जो दुनिया के ख़त्त-ओ-ख़ाल आए हैं तीरगी में मगर रौशनी से हम Share on: