ढाँपा कफ़न ने दाग़-ए-उयूब-ए-बरहनगी By Sher << जो गुज़ारी न जा सकी हम से शब-ए-वसलत तो जाते जाते अं... >> ढाँपा कफ़न ने दाग़-ए-उयूब-ए-बरहनगी मैं वर्ना हर लिबास में नंग-ए-वजूद था Share on: