ढूँढती फिरती हैं जाने मिरी नज़रें किस को By Sher << ज़ाहिद मुझे न माने-ए-शर्ब... मरने के बअ'द कोई पशेम... >> ढूँढती फिरती हैं जाने मिरी नज़रें किस को ऐसी बस्ती में जहाँ कोई भी आबाद नहीं Share on: