ध्यान बाँधूँ हूँ जो मैं उस की हम-आग़ोशी का By Sher << इस से अंदाज़ा कर लो रहमत ... विर्द-ए-इस्म-ए-ज़ात खोला ... >> ध्यान बाँधूँ हूँ जो मैं उस की हम-आग़ोशी का देर तक रहती हैं मिज़्गाँ मिरी मिज़्गाँ से लिपट Share on: