दिए मुंडेर प रख आते हैं हम हर शाम न जाने क्यूँ By Sher << दश्त-ए-ज़ुल्मात में हम-रा... जाने किस शहर में आबाद है ... >> दिए मुंडेर प रख आते हैं हम हर शाम न जाने क्यूँ शायद उस के लौट आने का कुछ इम्कान अभी बाक़ी है Share on: