दिहात के वजूद को क़स्बा निगल गया By Sher << हज़ार दाम से निकला हूँ एक... इस्लाम का सुबूत है ऐ शैख़... >> दिहात के वजूद को क़स्बा निगल गया क़स्बे का जिस्म शहर की बुनियाद खा गई Share on: