दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है By Sher << मरजा-ए-गब्र-ओ-मुसलमाँ है ... अपने दिल को तिरी आँखों पे... >> दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे Share on: