अपने दिल को तिरी आँखों पे फ़िदा करता हूँ By Sher << दिल भी पागल है कि उस शख़्... ये ज़ुल्फ़-ए-यार भी क्या ... >> अपने दिल को तिरी आँखों पे फ़िदा करता हूँ आज बीमार पे बीमार की क़ुर्बानी है Share on: