दिल एक है तो कई बार क्यूँ लगाया जाए By Sher << हज़ार तल्ख़ हों यादें मगर... इस शहर का दस्तूर है रिश्त... >> दिल एक है तो कई बार क्यूँ लगाया जाए बस एक इश्क़ बहुत है अगर निभाया जाए Share on: