दिल का हर ज़ख़्म तिरी याद का इक फूल बने By Sher << बयाज़ पर सँभल सके न तजरबे आप हों हम हों मय-ए-नाब हो... >> दिल का हर ज़ख़्म तिरी याद का इक फूल बने मेरे पैराहन-ए-जाँ से तिरी ख़ुशबू आए Share on: