दिल की बे-ताबी ठहरने नहीं देती मुझ को By Sher << ज़िंदगी की भी यक़ीनन कोई ... ख़मोशी में हर बात बन जाए ... >> दिल की बे-ताबी ठहरने नहीं देती मुझ को दिन कहीं रात कहीं सुब्ह कहीं शाम कहीं Share on: