दिल की दहलीज़ पे जब शाम का साया उतरा By Sher << दुनिया कहाँ थी पास-ए-विरा... अश्कों में पिरो के उस की ... >> दिल की दहलीज़ पे जब शाम का साया उतरा उफ़ुक़-ए-दर्द से सीने में उजाला उतरा Share on: