दुनिया कहाँ थी पास-ए-विरासत के ज़िम्न में By Sher << कुछ न कुछ तो होता है इक त... दिल की दहलीज़ पे जब शाम क... >> दुनिया कहाँ थी पास-ए-विरासत के ज़िम्न में इक दीन था सो उस पे लुटाए हुए तो हैं Share on: