दिल को मारा चश्म ने अबरू की तलवारों से आज By Sher << न जाने कौन सी मंज़िल पे आ... मैं हो के तिरे ग़म से नाश... >> दिल को मारा चश्म ने अबरू की तलवारों से आज क्यूँ भिड़ा था जा के ये हुशियार मय-ख़्वारों से आज Share on: