मैं हो के तिरे ग़म से नाशाद बहुत रोया By Sher << दिल को मारा चश्म ने अबरू ... दिन निकलते ही वो ख़्वाबों... >> मैं हो के तिरे ग़म से नाशाद बहुत रोया रातों के तईं कर के फ़रियाद बहुत रोया Share on: