दिल ओ निगाह का ये फ़ासला भी क्यूँ रह जाए By Sher << ख़्वान-ए-फ़लक पे नेमत-ए-अ... शहर उन के वास्ते है जो रह... >> दिल ओ निगाह का ये फ़ासला भी क्यूँ रह जाए अगर तू आए तो मैं दिल को आँख में रख लूँ Share on: