ख़्वान-ए-फ़लक पे नेमत-ए-अलवान है कहाँ By Sher << देख कर हर उज़्व उन का दिल... दिल ओ निगाह का ये फ़ासला ... >> ख़्वान-ए-फ़लक पे नेमत-ए-अलवान है कहाँ ख़ाली हैं महर-ओ-माह की दोनो रिकाबियाँ Share on: