दिल से मिटना तिरी अंगुश्त-ए-हिनाई का ख़याल By Sher << ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-द... वाइ'ज़ो हम रिंद क्यूँ... >> दिल से मिटना तिरी अंगुश्त-ए-हिनाई का ख़याल हो गया गोश्त से नाख़ुन का जुदा हो जाना Share on: