दिल उस की तार-ए-ज़ुल्फ़ के बल में उलझ गया By Sher << 'क़तील' अब दिल की... मलूँ हों ख़ाक जूँ आईना मु... >> दिल उस की तार-ए-ज़ुल्फ़ के बल में उलझ गया सुलझेगा किस तरह से ये बिस्तार है ग़ज़ब Share on: