दिलबरों के शहर में बेगानगी अंधेर है By Sher << दरियाओं की नज़्र हुए ये क्या कि फ़क़त अपनी ही ... >> दिलबरों के शहर में बेगानगी अंधेर है आश्नाई ढूँडता फिरता हूँ मैं ले कर दिया Share on: