दिलचस्प हो गई तिरे चलने से रहगुज़र By Sher << 'नसीर' अब हम को क... वो पलट के जल्द न आएँगे ये... >> दिलचस्प हो गई तिरे चलने से रहगुज़र उठ उठ के गर्द-ए-राह लिपटती है राह से Share on: