वो पलट के जल्द न आएँगे ये अयाँ है तर्ज़-ए-ख़िराम से By Sher << दिलचस्प हो गई तिरे चलने स... बारा-वफ़ातें बीसवीं झड़िय... >> वो पलट के जल्द न आएँगे ये अयाँ है तर्ज़-ए-ख़िराम से कोई गर्दिश ऐसी भी ऐ फ़लक जो बुला दे सुब्ह को शाम से Share on: