दिल-दुखे रोए हैं शायद इस जगह ऐ कू-ए-दोस्त By Sher << लुत्फ़ तब अमर्द-परस्ती का... शदीद धूप में सारे दरख़्त ... >> दिल-दुखे रोए हैं शायद इस जगह ऐ कू-ए-दोस्त ख़ाक का इतना चमक जाना ज़रा दुश्वार था Share on: