दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो By मशवरा, एकता, वतन परस्ती, Sher << वतन के जाँ-निसार हैं वतन ... ऐ अहल-ए-वतन शाम-ओ-सहर जाग... >> दिलों में हुब्ब-ए-वतन है अगर तो एक रहो निखारना ये चमन है अगर तो एक रहो Share on: