ऐ अहल-ए-वतन शाम-ओ-सहर जागते रहना By वतन परस्ती, Sher << दिलों में हुब्ब-ए-वतन है ... सुबू-ए-फ़लसफ़ा-ए-इशक़-ओ-क... >> ऐ अहल-ए-वतन शाम-ओ-सहर जागते रहना अग़्यार हैं आमादा-ए-शर जागते रहना Share on: