दिन गुज़रते हैं गुज़रते ही चले जाते हैं By Sher << शबान-ए-हिज्राँ दराज़ चूँ ... धूप में कौन किसे याद किया... >> दिन गुज़रते हैं गुज़रते ही चले जाते हैं एक लम्हा जो किसी तरह गुज़रता ही नहीं Share on: