डिनर से तुम को फ़ुर्सत कम यहाँ फ़ाक़े से कम ख़ाली By तंज़ ओ मिज़ाह, Sher << जब तक माथा चूम के रुख़्सत... इक-आध बार तो जाँ वारनी ही... >> डिनर से तुम को फ़ुर्सत कम यहाँ फ़ाक़े से कम ख़ाली चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली Share on: