जब तक माथा चूम के रुख़्सत करने वाली ज़िंदा थी By Sher << मुतमइन है वो बना कर दुनिय... डिनर से तुम को फ़ुर्सत कम... >> जब तक माथा चूम के रुख़्सत करने वाली ज़िंदा थी दरवाज़े के बाहर तक भी मुँह में लुक़्मा होता था Share on: