दीवाने को मजाज़-ओ-हक़ीक़त से क्या ग़रज़ By Sher << बहारों की नज़र में फूल और... आज फिर बुझ गए जल जल के उम... >> दीवाने को मजाज़-ओ-हक़ीक़त से क्या ग़रज़ दैर-ओ-हरम मिले न मिले तेरा दर मिले Share on: