आज फिर बुझ गए जल जल के उमीदों के चराग़ By Sher << दीवाने को मजाज़-ओ-हक़ीक़त... कभी फ़ासलों की मसाफ़तों प... >> आज फिर बुझ गए जल जल के उमीदों के चराग़ आज फिर तारों भरी रात ने दम तोड़ दिया Share on: