दीवानों को अब वुसअत-ए-सहरा नहीं दरकार By Sher << एक के घर की ख़िदमत की और ... दिल बुझने लगा आतिश-ए-रुख़... >> दीवानों को अब वुसअत-ए-सहरा नहीं दरकार वहशत के लिए साया-ए-दीवार बहुत है Share on: