दो आलम से गुज़र के भी दिल-ए-आशिक़ है आवारा By Sher << इब्तिदा से आज तक 'नात... दिल रहे या न रहे ज़ख़्म भ... >> दो आलम से गुज़र के भी दिल-ए-आशिक़ है आवारा अभी तक ये मुसाफ़िर अपनी मंज़िल पर नहीं आया Share on: