दो किनारे हों तो सैल-ए-ज़िंदगी दरिया बने By Sher << बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे मोहब्बत करने वाले दर्द मे... >> दो किनारे हों तो सैल-ए-ज़िंदगी दरिया बने एक हद लाज़िम है पानी की रवानी के लिए Share on: